कविता

एकावली छंद “मनमीत”

एकावली छंद “मनमीत”

किसी से, दिल लगा।
रह गया, मैं ठगा।।
हृदय में, खिल गयी।
कोंपली, इक नयी।।

मिला जब, मनमीत।
जगी है, यह प्रीत।।
आ गया, बदलाव।
उत्तंग, है चाव।।

मोम से, पिघलते।
भाव सब, मचलते।।
कुलांचे, भर रहे।
अनकही, सब कहे।।

रात भी, चुलबुली।
पलक हैं, अधखुली।।
प्रणय-तरु, हों हरे।
बाँह में, नभ भरे।।

खोलता, खिड़कियाँ।
दिखें नव, झलकियाँ।।
झिलमिली, रश्मियाँ।
उड़ें ज्यों, तितलियाँ।।

हृदय में, समा जा।
गले से, लगा जा।।
मीत जब, पास तू।
‘नमन’ का, खाश तू।।
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एकावली छंद विधान –

एकावली छंद 10 मात्रा प्रति पद का सम मात्रिक छंद है जिसमें पाँच पाँच मात्राओं के दो यति खण्ड रहते हैं। एक छंद में कुल 4 चरण होते हैं और छंद के दो दो या चारों चरण सम तुकांत होने चाहिए। इन 10 मात्राओं का विन्यास दो पंचकल (5, 5) हैं। पंचकल की निम्न संभावनाएँ हैं :-

122
212
221
(2 को 11 में तोड़ सकते हैं।)
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बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’ ©
तिनसुकिया

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'

नाम- बासुदेव अग्रवाल; जन्म दिन - 28 अगस्त, 1952; निवास स्थान - तिनसुकिया (असम) रुचि - काव्य की हर विधा में सृजन करना। हिन्दी साहित्य की हर प्रचलित छंद, गीत, नवगीत, हाइकु, सेदोका, वर्ण पिरामिड, गज़ल, मुक्तक, सवैया, घनाक्षरी इत्यादि। सम्मान- मेरी रचनाएँ देश के सम्मानित समाचारपत्र और अधिकांश प्रतिष्ठित वेब साइट में नियमित रूप से प्रकाशित होती रहती हैं। हिन्दी साहित्य से जुड़े विभिन्न ग्रूप और संस्थानों से कई अलंकरण और प्रसस्ति पत्र नियमित प्राप्त होते रहते हैं। प्रकाशित पुस्तकें- गूगल प्ले स्टोर पर मेरी दो निशुल्क ई बुक प्रकाशित हैं। (1) "मात्रिक छंद प्रभा" जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 37RT28H2PD2 है। (यह 132 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें मात्रिक छंदों की मेरी 91 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में 'मात्रिक छंद कोष' दिया गया है जिसमें 160 के करीब मात्रिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।) (2) "वर्णिक छंद प्रभा" जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 509X0BCCWRD है। (यह 134 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें वर्णिक छंदों की मेरी 95 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में 'वर्णिक छंद कोष' दिया गया है जिसमें 430 के करीब वर्णिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)