कविता

चौपई छंद “चूहा बिल्ली”

(बाल कविता)

म्याऊँ म्याऊँ के दे बोल।
आँखें करके गोल मटोल।।
बिल्ली रानी है बेहाल।
चूहे की बन काल कराल।।

घुमा घुमा कर अपनी पूँछ।
ऊपर नीचे करके मूँछ।।
पंजे से दे दे कर थाप।
मूषक लेना चाहे चाप।।

पंजे से कर सिर की खाज।
चूँ चूँ की दे कर आवाज।।
मौत खड़ी है सिर पर जान।
चूहा भागा ले कर प्रान।।

ज्यों कड़की हो बिजली घोर।
झपटी बिल्ली दिखला जोर।।
पंजा मूषक सका न झेल।
‘नमन’ यही जीवन का खेल।।
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चौपई छंद / जयकरी छंद विधान –

चौपई छंद जो जयकरी छंद के नाम से भी जाना जाता है,15 मात्रा प्रति चरण का सम मात्रिक छंद है। कहीं कहीं इसका जयकारी छंद नाम भी मिलता है। यह तैथिक जाति का छंद है। एक छंद में कुल 4 चरण होते हैं और छंद के दो दो या चारों चरण सम तुकांत होने चाहिए।

चौपई छंद से मिलते-जुलते नाम वाले अत्यंत ही प्रसिद्ध चौपाई छंद से भ्रम में नहीं पड़ना चाहिये। चौपाई छंद 16 मात्राओं का छंद है जिसके चरणान्त से एक लघु निकाल दिया जाय तो चरण की कुल मात्रा 15 रह जाती है और चौपाई छंद से मिलता जुलता नाम चौपई छंद हो जाता है। इस प्रकार चौपई छंद का चरणान्त गुरु-लघु रह जाता है जो इसकी मूल पहचान है।

इन 15 मात्राओं की मात्रा बाँट:- 12 + S1 है। 12 मात्रिक अठकल चौकल, चौकल अठकल या तीन चौकल हो सकता है। अठकल में दो चौकल या 3 3 2 मात्रा हो सकती है। चौपई छंद के सम्बन्ध में एक तथ्य यह भी सर्वमान्य है कि चौपई छंद बाल साहित्य के लिए बहुत उपयोगी है, क्योंकि इसमें गेयता अत्यंत सधी होती है।

बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’ ©
तिनसुकिया

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'

नाम- बासुदेव अग्रवाल; जन्म दिन - 28 अगस्त, 1952; निवास स्थान - तिनसुकिया (असम) रुचि - काव्य की हर विधा में सृजन करना। हिन्दी साहित्य की हर प्रचलित छंद, गीत, नवगीत, हाइकु, सेदोका, वर्ण पिरामिड, गज़ल, मुक्तक, सवैया, घनाक्षरी इत्यादि। सम्मान- मेरी रचनाएँ देश के सम्मानित समाचारपत्र और अधिकांश प्रतिष्ठित वेब साइट में नियमित रूप से प्रकाशित होती रहती हैं। हिन्दी साहित्य से जुड़े विभिन्न ग्रूप और संस्थानों से कई अलंकरण और प्रसस्ति पत्र नियमित प्राप्त होते रहते हैं। प्रकाशित पुस्तकें- गूगल प्ले स्टोर पर मेरी दो निशुल्क ई बुक प्रकाशित हैं। (1) "मात्रिक छंद प्रभा" जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 37RT28H2PD2 है। (यह 132 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें मात्रिक छंदों की मेरी 91 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में 'मात्रिक छंद कोष' दिया गया है जिसमें 160 के करीब मात्रिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।) (2) "वर्णिक छंद प्रभा" जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 509X0BCCWRD है। (यह 134 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें वर्णिक छंदों की मेरी 95 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में 'वर्णिक छंद कोष' दिया गया है जिसमें 430 के करीब वर्णिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)