गठिया का सरल प्राकृतिक उपचार
गठिया को अंग्रेजी में आर्थराइटिस और संस्कृत में संधिवात कहा जाता है। यह एक वात रोग है और इसका प्रभाव हड्डियों के जोड़ों पर पड़ता है। मुख्य रूप से घुटने, पैर, कंधे और हाथ इससे प्रभावित होते हैं।
गठिया के कई कारण हो सकते हैं, जैसे- व्यायाम की कमी, पैदल न चलना, सीढ़ियों के बजाय लिफ्ट का अधिक उपयोग करना, आराम तलब जीवन शैली, असंतुलित खानपान, बढ़ता हुआ वजन, दर्दनाशक दवाओं का अत्यधिक सेवन, अन्य रोगों की तेज दवाओं का सेवन आदि। इनमें से एक या अधिक कारण मिलकर शरीर में गठिया उत्पन्न कर देते हैं, जिससे पीड़ित व्यक्ति को बहुत कष्ट होता है।
गठिया का सबसे पहला प्रभाव प्रायः घुटनों पर पड़ता है, क्योंकि शरीर का पूरा बोझ घुटनों पर ही आता है। ऐलोपैथिक डाक्टरों के पास इसका कोई समाधान नहीं है। घुटने क्षतिग्रस्त हो जाने पर वे उनका आपरेशन कर डालते हैं, लेकिन बहुधा इससे भी समस्या हल नहीं होती। श्री अटल बिहारी वाजपेयी के घुटनों का तीन-तीन बार ऑपरेशन हुआ था, परंतु उनको कोई लाभ नहीं हुआ, उल्टे हानि ही हुई थी और वे चलने-फिरने से लाचार हो गये थे।
गठिया के कारण जोड़ों में असहनीय दर्द होता है जिसके लिए लोग दर्दनाशक दवायें लेते रहते हैं। इन दवाओं से बहुत हानियाँ होती हैं तथा अनेक नई बीमारियाँ पैदा हो जाती हैं। सबसे अच्छा तो यह है कि अपनी जीवन शैली में परिवर्तन करके गठिया से बचा जाये। यदि गठिया हो ही जाता है, तो उसकी चिकित्सा प्राकृतिक विधियों से सफलतापूर्वक की जा सकती है, यदि हड्डियाँ अधिक क्षतिग्रस्त न हुई हों। दवा आधारित चिकित्सा पद्धतियों में इसका कोई उपचार नहीं है, चाहे वह ऐलोपैथी हो, होमियोपैथी हो, आयुर्वेद हो या कोई अन्य।
यहाँ मैं गठिया का सरल प्राकृतिक उपचार लिख रहा हूँ, जिसका सही-सही पालन करके कोई भी व्यक्ति गठिया के कष्ट से मुक्त हो सकता है।
’ प्रातः काल 6 बजे उठते ही एक गिलास गुनगुने पानी में आधा नीबू का रस मिलाकर पियें। फिर 5 मिनट बाद शौच जायें।
’ शौच के बाद 2-3 मिनट तक पेडू पर खूब ठंडे पानी से पोंछा लगायें, फिर टहलने जायें। अपनी सामान्य चाल से डेढ़-दो किमी टहलें।
’ टहलने के बाद नीचे दिए गये व्यायाम करें-
– रीढ़ के व्यायाम – क्वीन और किंग एक्सरसाइज
– उंगली, कलाई, कोहनी और कंधों के व्यायाम
– घुटनों के विशेष व्यायाम (कुर्सी पर बैठकर)
– पैरों के सूक्ष्म व्यायाम
– अनुलोम विलोम प्राणायाम 5 मिनट
– तितली व्यायाम एक मिनट
’ व्यायाम के बाद खाली पेट लहसुन की तीन-चार कली छीलकर छोटे-छोटे टुकड़े करके सादा पानी से निगल लें या चबायें।
’ सप्ताह में दो-तीन बार प्रातःकाल 8 से 9 बजे के बीच हलके कपड़े पहनकर या तेल मालिश करके कम से कम आधा घंटा धूप सेवन करें।
’ दोपहर बाद गठिया के स्थान पर गर्म पानी में भीगी तौलिया से कम से कम 20 मिनट तक नित्य सिकाई करें। गठिया प्रभावित घुटनों को सुहाते गर्म पानी से भरी बाल्टी में पैर रखकर और घुटनों पर मग से गर्म पानी डालते हुए भी सिकाई की जा सकती है। यह अधिक प्रभावी होती है।
यदि समय हो और रोग अधिक बढ़ गया हो तो सिकाई की क्रिया शाम को या रात को सोते समय भी की जा सकती है। गठिया रोगियों को कठिन व्यायाम नहीं करने चाहिए।
गठिया पीड़ितों को अपना आहार विहार सात्विक रखना चाहिए। बहुत ठंडी वस्तुओं का सेवन कभी न करें। हमेशा सादा या गुनगुना जल पियें। सम्भव हो तो रोज कम से कम तीन मंजिल सीढ़ियाँ चढ़ें और उतरें। भले ही एक बार में एक मंजिल चढ़ें या उतरें।
— डॉ. विजय कुमार सिंघल