कविता

आया राखीपूनम त्योहार!

सखी री, आया राखीपूनम त्योहार,
प्रेमरस बरसाता सावन सिणगार,
भाई बहन का निश्चल पावन प्यार,
झरता रहे निर्मल, अमिरस हुलार।।
सखी री, रेशम धागा मृदुल न्यारा,
प्रीत-दुलार, स्नेह-अपनेपन की धारा,
रोली, अक्षत, कुमकुम थाल ले बहना,
आएंगे वीरा, राखी ले, बांट जोहे नयना।।
बेटियां मायके में आनंद-स्वर चहकाने,
घर-आँगन खुशियां भर-भर छितराने,
ले आती यादें भूली-बिसरी, खट्टी-मीठी,
रिश्तों में मिश्री-सी मिठास घोलती।।
सौभाग्य दमके, जहाँ पायल खनके,
सौभाग्य महके, जहाँ बेटियां चहके,
खुशियों का भंडारण भर जाती बेटियां,
पोटली भर नेह, ले जाती मधुर स्मृतियां।।
लाड़ो, न लेने आती हैं केवल भेंट-उपहार,
लुटाती अपना स्नेह, झर झर नेह बौछार,
रिमझिम रिमझिम बुंदों-सी ताजगी बरसाती,
बेटियां, घर-आँगन खुशियां भर जाती।।

*चंचल जैन

मुलुंड,मुंबई ४०००७८