कविता

सत्य, निष्ठा और न्याय  –  मेरा गांव मेरा देश

सत्य ,निष्ठा और न्याय के पथ पर,
 मैं जीवन भर चलती जाऊं।
सादा जीवन हो उच्च विचार,
मैं महापुरुषों से ऐसी सीख लाऊं।
आदर्श यथार्थ भरी कहानियां ईदगाह, पंच परमेश्वर,
मैं अपने जीवन में अपनाऊं।
ना कोई बेटी निर्मला बने, ना कोई किसान होरी ,
 मैं दहेज ना लूं ,कसम ऐसी खाऊं।
सब जन को दो वक्त की रोटी मिलें,
ना फिर कोई कथा कफन जैसी लिखी जाए,
मैं सब के सपनों को साकार करूं।
आत्मनिर्भर बनो! ईमान की जिंदगी! जियो!,
पाप की कमाई पानी में बहती जाए।
मेरा गांव मेरा देश भ्रष्टाचार से मुक्त हो,
 मैं आचरण का पालन कर औरों को पाठ पढ़ाऊं।
शोषित नहीं, शिक्षित बनो!
 विचारों से धनी बनो!, मैं जन में चेतना लाऊं।
— चेतना प्रकाश चितेरी

चेतना सिंह 'चितेरी'

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