कविता

पितरों को नमन

पितर हमारे पूजनीय होते है,
इनकी हम वंदना करते है,
साल भर में एक समय आता है,
जब आपको पूजा जाता हैं,
जब कोई मर जाता हैं,
 उसके बाद ही हम उसे क्यों याद करते हैं,
जीते जी जिसका सम्मान ना कर सके,
प्यार ना दे सके,
मरने के बाद उस के लिए प्यार दिखाने से क्या होगा,
पितर को देव तुल्य माना गया हैं,
40 दिन बाद पुनर्जन्म हो जाता है,
हम किसकी पूजा वंदना करते हैं,
जो फिर से इस दुनिया में आ गए,
परंतु वह हमे दिखाई नही देते,
पितर ही हमारे जीवन का आधार होते है,
पितर के बिना घर सूना सा लगता है,
पितर के पुण्य प्रताप से कीर्ती मिलती है,
पितरों के आशीष से घर में सुख समृद्धि रहती है,
सभी पितरों को मेरा कोटि कोटि प्रणाम।।
— गरिमा लखनवी

गरिमा लखनवी

दयानंद कन्या इंटर कालेज महानगर लखनऊ में कंप्यूटर शिक्षक शौक कवितायेँ और लेख लिखना मोबाइल नो. 9889989384