कविता वेदना सन्तोषी किमोठी वशिष्ठ 17/09/2022 मिली नसीहत प्रेम भरी, सादगी से मैं निभाऊँ, वेदना के मोती भरे, इन्हें मैं कैसे सजाऊँ। भरी वसुधा वेदना से, लिख रही हूँ मन की कथा, चल पड़ी राह वेदों की, आज निकली दिल से प्रथा। — सन्तोषी किमोठी वशिष्ठ