स्नेह
(१) ज़िन्दगी का दस्तूर कुछ यूं ही गुज़र गया, दिल की कलम ने निःस्वार्थ सब कह दिया। भव सागर की
Read Moreदूध भरी ये बालियां, उभरती लहरों सी। खिलती चहुं ओर कलियां, बसंत की महक सी।। गा रही वनों कोयले, यौवन
Read Moreप्रकृति तत्व है हिन्दी इसे तुम जानों वेद सारांश है हिन्दी इसे तुम मानों।।१।। जमीं से आसमां तक सार है
Read Moreअनकहे लम्हों को जो समझ न पाए, उसे कैसे न कहूं कि ये नहीं समझ पाए। अरमानों की मुठ्ठी बन्द
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