कविता

मिडिल क्लास लोग

हर बार नई योजना बनाते हैं,
 फिर किसी कारणवश
 आगे टाल जाते हैं।
कई जिम्मेदारियों तले,
अपनी खुशियां ही भूल जाते हैं ।
रोजमर्रा की जद्दोजहद और
  पीड़ा हर समय साथ रहती है,
सब की फिक्र हमेशा चेहरे पर
चिंता बनकर सजी रहती है।
 हम मिडिल क्लास लोग छोटी-छोटी
जरूरतों के लिए,
 मन से भी थक जाते हैं ,
सबकी परवाह करने में हमेशा ,
खुद को ही भूल जाते हैं।
 सीमित आमदनी में
 गुजारा होता है ।
कभी कभी आंखो में
आँसू का नजारा होता है।
 पाई-पाई जोड़ कर भी
 कुछ काम अधूरे रह जाते हैं ,
हर बार सिर्फ हम लोग
पैसे से ही मात खाते हैं।
 माना पैसा हर खुशियों का
 पर्याय नहीं है ,
पर पैसे के बिना इस
 संसार में कुछ भी नहीं है।
हर बार अपनी इच्छाओं
 को मार जाते हैं ,
हम मिडिल क्लास लोग
 जिन्दगी से हर बार हार जाते हैं ।
— सपना परिहार

सपना परिहार

श्रीमती सपना परिहार नागदा (उज्जैन ) मध्य प्रदेश विधा -छंद मुक्त शिक्षा --एम् ए (हिंदी ,समाज शात्र बी एड ) 20 वर्षो से लेखन गीत ,गजल, कविता ,लेख ,कहानियाँ । कई समाचार पत्रों में रचनाओ का प्रकाशन, आकाशवाणी इंदौर से कविताओ का प्रसारण ।