मिडिल क्लास लोग
हर बार नई योजना बनाते हैं,
फिर किसी कारणवश
आगे टाल जाते हैं।
कई जिम्मेदारियों तले,
अपनी खुशियां ही भूल जाते हैं ।
रोजमर्रा की जद्दोजहद और
पीड़ा हर समय साथ रहती है,
सब की फिक्र हमेशा चेहरे पर
चिंता बनकर सजी रहती है।
हम मिडिल क्लास लोग छोटी-छोटी
जरूरतों के लिए,
मन से भी थक जाते हैं ,
सबकी परवाह करने में हमेशा ,
खुद को ही भूल जाते हैं।
सीमित आमदनी में
गुजारा होता है ।
कभी कभी आंखो में
आँसू का नजारा होता है।
पाई-पाई जोड़ कर भी
कुछ काम अधूरे रह जाते हैं ,
हर बार सिर्फ हम लोग
पैसे से ही मात खाते हैं।
माना पैसा हर खुशियों का
पर्याय नहीं है ,
पर पैसे के बिना इस
संसार में कुछ भी नहीं है।
हर बार अपनी इच्छाओं
को मार जाते हैं ,
हम मिडिल क्लास लोग
जिन्दगी से हर बार हार जाते हैं ।
— सपना परिहार