कविता

दीवाली

साथ तुम्हारा मेरी खुशहाली है
तुम साथ हो तो हर रात दीवाली है।
जीवन मेरा रंगोली सा सजा है
तुम्हारे साथ जीने का अपना मजा है।
पटाखे,फुलझड़ी,अनार से बच्चे हैं हमारे
रोशन घर है हमारा,वो चिराग़ हैं हमारे।
उनकी खिलखिलाहट झालर सी झिलमिलाती है
जैसे घर के द्वार पर वन्दनवार सज जाती है।
तुम्हारा साथ सौलह श्रृंगार है मेरा
तुम बिन जीवन वनवास है मेरा।
जीवन के हर त्यौहार तुम बिन अधूरे हैं
तुम साथ हो तो हर सपने पूरे हैं।

सपना परिहार

श्रीमती सपना परिहार नागदा (उज्जैन ) मध्य प्रदेश विधा -छंद मुक्त शिक्षा --एम् ए (हिंदी ,समाज शात्र बी एड ) 20 वर्षो से लेखन गीत ,गजल, कविता ,लेख ,कहानियाँ । कई समाचार पत्रों में रचनाओ का प्रकाशन, आकाशवाणी इंदौर से कविताओ का प्रसारण ।