गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

ख़ुदा  के नाम  का चर्चा   बहुत  है।
यक़ीनन  राज़  ये  गहरा   बहुत है।

समन्दर की  नहीं चाहत  हमें कुछ,
हमारे   वास्ते    क़तरा    बहुत  है।

नहीं चाहत   किसी  भी  दूसरे की,
तुम्हारे साथ  का  सपना  बहुत है।

दिखाओमत हमें जन्नत कासपना,
हमारे  वास्ते   दुनिया    बहुत  है।

नहीं सीरत पता चलती किसी की,
जहां  के  सामने  चेहरा  बहुत  है।

— हमीद कानपुरी

*हमीद कानपुरी

पूरा नाम - अब्दुल हमीद इदरीसी वरिष्ठ प्रबन्धक, सेवानिवृत पंजाब नेशनल बैंक 179, मीरपुर. कैण्ट,कानपुर - 208004 ईमेल - [email protected] मो. 9795772415