मुक्तक/दोहा मुक्तक समीर द्विवेदी नितान्त 21/10/2022 इस दीवाली रोशनी का बोलबाला चाहिए ।। सबके घर मे सबकी छत पर दीपमाला चाहिए ।। दीप मेरे हाथ मे हो या तुम्हारे हाथ मे । फर्क क्या पड़ता है दुनिया को उजाला चाहिए ।। — समीर द्विवेदी नितान्त