वर्णमाला ज्ञान
अ से अक्षर ज्ञान बना है
आ से है आदर्श बना
इ से इमली ई से ईख
उ से उत्तम दर्श बना
ऊ से ऊंट है कूबड़ वाला
ए से अक्षर एक बना
ऐ से ऐजी ओ से ओजी
अं से है अंगार बना
ऋ से ऋषियों के द्वारा ही
सभी स्वरो ज्ञान मिला
क से कबूतर पढ़ डाला तो
ख से है खरगोश पढ़ा
ग से समझे है गणेश जी
घ से हमने घड़ा पढ़ा
अनुनासिक अक्षर ङ होता
नमन है जिससे ज्ञान बढा
पञ्चम वर्ण कवर्ग का
पढ़ कर लगता है कुछ नया पढ़ा
च छ ज झ 4 वर्ण हैं
ञ 5वां अनुनासिक होता है
च से चाचा छ से छतरी
ज से जून माह होता है
झ से जो झंझट करता है
वो झंझटी कहलाता है
ञ से कोई शुरू न होता
यही समझ में आता है
ट वर्ग का 5वां वर्ण भी
अनुनासिक ही होता हैं
ट ठ ड ढ चारों का ही
भार यही तो ढोता है
ट से टट्टू ठा से ठाकुर
ड से डमरू है कहलाता
ढ से ढपली बाद में उसके
ण वर्ण ही है आता
त थ द ध न होते हैं
यह तवर्ग कहाता है
त से तितली थ से थैला
रोज साथ में जाता है
द से दाता ध से धन है
साथ न कुछ भी जाता है
इसके बाद वर्णमाला का
वर्ग आखिरी आता है
प फ ब भ म होते हैं ये
पवर्ग इसी को कहते हैं
प से पानी फ से फल भी
अद्भुत सबको लगते हैं
ब से बंदर भ से भालू
म से मदारी कहलाता
इसके बाद और कुछ व्यंजन
उनकी यात्रा करते हैं
य र ल व श ष स ह क्ष त्र ज्ञ
अपने क्रम में आते हैं
य से यम है र से रामजी
ल से लक्ष्मण सुहाते हैं
व से वीर श से शिवाजी
ष से षटकोण बनाते हैं
ह से हीरा क्ष से क्षत्रिय
त्र से त्रास बताते हैं
ज्ञ से ज्ञान जिसे मिल जाए
ज्ञानी वही कहाते हैं
— डॉक्टर /इंजीनियर मनोज श्रीवास्तव