गीतिका/ग़ज़ल

गीतिका

मैं टूटे दिल और सपनो को जोड़ रही हूं सुनो मुझे
मैं कांटो पे बिन चप्पल के दोड रही हूँ सुनो मुझे
मैने कलम बनायी है हथियार विषम्ता से लड़ना
मैं शब्दो के बाण ये तीखे छोड़ रही हूँ सुनो मुझे
मुझे नही मंजूर पिये पानी गन्दा हम नाली का
मैं दूषित नदियों का बहना मोड़ रही हूँ सुनो मुझे
संस्कार न हो जिसमें वो रक्त नही है पानी है
मैं दूषित धमनी का रक्त निचोड़ रही हूँ सुनो मुझे
मेरे आंचल तक पापी का हाथ भला कैसे पंहुचा
मैं दुस्साहसी की खुद बाहं मरोड़ रही हूँ सुनो मुझे
मेरे देश को बुरी नजर से जिसने भी देखा,घूरा
उन आँखो को उन्ही के घर में फोड़ रही हूँ सुनो मुझे
— शालिनी शर्मा

शालिनी शर्मा

पिता का नाम-स्वर्गीय मथुरा प्रसाद दीक्षित माता का नाम -श्रीमती ममता दीक्षित पति का नाम-श्री अनिल कुमार शर्मा वर्तमान स्थायी पता- केऐ-16 कर्पूरी पुरम गाजियाबाद फोन न0- 9871631138 जन्म एंव जन्म स्थान-09.04.1969, परीक्षित गढ़ गाजियाबाद उप्र शिक्षा एवं व्यवसाय-बीएससी बीएड़,अध्यापिका व सहायक NCC आफिसर (13 यूपी गर्ल्स बटालियन) प्रकाशित रचनाएं एवं विवरण-अमर उजाला काव्य में 48 रचनायें प्रकाशित, विभिन्न पत्रिकाओं में रोज रजनाएं प्रकाशित होती हैं,दो तीन सम्मान प्राप्त