यादें उन की बिखरी हुई हैं – हमारी ज़िन्दगी की राहों में
काँच के टुकडों की तराह से – हमारी ज़िन्दगी की राहों में
मुहब्बत हमारी चलती रैहती है – इन राहों पर बे फिक्र हो कर
लहू बेशक बैहता रहे बेहताशा – जख्मों से हमारे पाओं में
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ना तडपने की इजाज़त है हमें – ना फ़रयाद कर सकते हैं हम
बसर कर रहे हैं ज़िन्दगी अपनी – बंद यादों के पिन्जरो में
दूर तो कर सकते हैं हम सारे शिकवे – जान देकर हमारी को
ढ़र है मगर इस बात का हमें – कि बुहत रोएंगे हमारी यादों में
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डर भी बुहत है बुहत है हमें – कोई द्ख ना ले हमारे दिल के ज़ख़्मों को
हसरत भी है जब हमारे दिल की – कोई तो हो हमें देखने वालो में
प्यार करते हैं हम अपने ग़मों से – दिल अपने को बैहलाने के लिये
अफ़साने यूं ही तो बनते रैहते हैं – हम दिल की बातें सुनने वालों में
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हिम्मत तो है हमारे दिल में वुहत – पार कर जाने की समुंदरों को मदन
मजबूरियों में हमारी मगर हम – ढ़ूब हैं आँसूओं के दो क़तरों में
होश तो अपने हम खो सकते थे – कहीं पर भी इस भरी दुनिया में
मगर आ गैए हम तो मैख़ाने में – ढ़ूबने के लिये साक़ी की आँखों में