कविता

एक बहाना जीने का

एक बहाना तो दो जीने का
मरने के तो कई बहाने है।
एक तराना तो छेड़ो जिंदगी का
मौत के तो कई अफसाने है।
मंजिलें मिले न मिले मनचाही
ख्वाबो से भरे रास्ते तो हो।
परख लिया लोगों को हर कदम पर
थोड़ी आजमाईश अपनी भी हो।
बहुत हो गई असफलता की टीस
सफलता के भी कुछ स्वाद जिंदगी में हो।
उम्र तमाम गुजर गई चाहतों में
थोड़ी उम्र उन चाहतों की भी हो ।
मरना तो है एक दिन सभी को
थोड़ी मायने जिंदगी के भी हो ।
— विभा कुमारी “नीरजा”

*विभा कुमारी 'नीरजा'

शिक्षा-हिन्दी में एम ए रुचि-पेन्टिग एवम् पाक-कला वतर्मान निवास-#४७६सेक्टर १५a नोएडा U.P