नया साल नया दौर
जीवन के रंग मे खुशियों के संग में ,
सुबह की लाली घटा शाम की तन्हाई में ,
हरे भरे पेड़ों पर चिड़िया चहकती रहे ,
खेत खलिहानों मे फसल लहलहाती रहे ,
नई रोशनी मे नये जीवन की शुरुआत हो ,
सबको जीने की नई दिशा, नया राह मिले ,
गाँव मे खुशियों की नयी सौगात हो ,
सबको अपनी अभिव्यक्तियों का नया संसार मिले ,
मन मस्तिष्क मे नये दुनिया की स्वागत की आशायें हो ,
जीवन मे नये उद्देश्यों का लौ जले ,
प्रेम की ज्योति जले खुश्बुओं की महक उठे ,
विज्ञान , तकनीकी , साहित्य की ज्वाला और जले ,
दुनिया मे लोक कलाओं का चहुंदिश विकास हो ,
सभ्यता और संस्कृति को नया आयाम मिले ,
दुनिया मे आपस मे भाईचारे का संबंध हो ,
ना झगड़ा ना झंझठ का वास हो ,
पग -पग में दिल और प्यार का मिलन हो ,
जाति धर्म को मिटाकर सबकी धड़कनो की आवाज़ बनो ,
ऐसा नया हो नये साल की शुरुआत हो ,
नये साल मे नये दौर की जज्बात हो !
— रुपेश कुमार