अलाव
ठंडक ने ऐसा कहर है ढ़ाया
कुहरा को भी साथ है लाया
काँप रहा है ठंड से तन वदन
अलाव की करो भई कोई जतन
अय सूखी डाली तुम मेरे घर आना
जंगल राजा को तुम ही समझाना
हरी पेड़ नहीं हम काटा है
सूख गई हाे तुम तुमको ही मांगा है
तुम जल कर देना हमें ठंडक में ताप
गरम महशूश करेगें जब बनोगी आग
तेरी कुर्बानी का हम सब हैं अब कायल
अपनी तन को जला कर दी है घायल
जन जन को तुमने गरमी को दिलाया
जाड़ा से मानव को आज है बचाया
अय सूखी डाली तुम मानव पे मेहरबान
हम कभी ना भूलेगें तेरा यह एहसान
खुद जल कर दी है तुम तपिश अलाव
ये तेरी सेवा गुण का दिखता है प्रभाव
तुमको जला कर हमने ऊलाव जलाया
तन वदन को आज ठंडक से बचाया
— उदय किशोर साह