कविता

स्वागत है नव वर्ष तुम्हारा

स्वागत है नव वर्ष तुम्हारा
खुलेगा अब खुशियों का पिटारा
होंगे दूर अवसाद अब सारे
होगा खुशमय अब भारत सारा।
थे जिनसे छूटे कुछ उनके अपने
जीवन था उनका लगभग सम तपने
नव वर्ष की पावन बेला में
होंगे उनके भी अब पूरे सपने।
बेरोजगारी से जो हुए बेहाल
उनको राहत देगा यह साल
सीख वो आजीवन रखें हम याद
देकर गया बीता जो काल।
सुख वैभव बरसे चहुं ओर
हर्ष का रहे न कोई ठौर
मानव मूल्यों को समझें हम सारे
सुखद हो आने वाली हर भोर।
गैरों को भी अपनाएं हम
जो रूठे उन्हें मनाएं हम
खुशियां ही खुशियां हों दामन में सबके
न शेष रहे जग में इक भी गम।
नूतन वर्ष का अभिनंदन न्यारा
खिला खिला हो ये जग सारा
जी भर जीना है जीवन को
इस नव वर्ष यही प्रण हमारा।
— पिंकी सिंघल

पिंकी सिंघल

अध्यापिका शालीमार बाग दिल्ली