मुक्तक/दोहा हरि बोल डॉ. अ. कीर्तिवर्द्धन 02/01/2023 सार जगत का जिस पल मानव समझ सकेगा, माया- ममता- मोह जाल से, निकल सकेगा। भौतिक सुविधाओं को सार, जगत को मान रहे, अध्यात्म का सार समझ, स्वयं को जान सकेगा। — अ कीर्ति वर्द्धन