गीत/नवगीत

प्रीत लगाना सीखो

प्यार की बातें  सब करते, प्रीत  लगाना भी तो सीखो।
बिना प्रेम बुझती मन बाती, प्रेम ज्योत जगाना सीखो।
दो नयनों के दीप जले हैं, फिर है मन अंधियारा कैसा।
प्रेम  के  दो बोल तो बोलो, इस से  बड़ा नजारा कैसा।
सुख दुख बांटो प्रेमी बनके, साथ सदा निभाना सीखो।
बिना प्रेम बुझती मन बाती, प्रेम ज्योत जगाना सीखो।
हाथ में ले हाथ सजन का,बैठ पास कुछ बातें कर लो।
दिल की दिल से सुनाओ,एक दूजे के कंधे सिर धर लो।
मिट जाए दूरी सब मन की,हंसके मन बहलाना सीखो।
बिना प्रेम बुझती मन बाती, प्रेम ज्योत जलाना सीखो।
तेरे दिल में मेरा  घर हो, मेरा   दिल  प्यार  का दर  हो।
एक सा भाव बना रहे मन का,तेरी नज़र मेरी नज़र हो।
जल बिन मछली जैसे तड़पे, ऐसे ही मर  जाना सीखो।
बिना प्रेम बुझती मन बाती, प्रेम ज्योत जलाना सीखो।
— शिव सन्याल

शिव सन्याल

नाम :- शिव सन्याल (शिव राज सन्याल) जन्म तिथि:- 2/4/1956 माता का नाम :-श्रीमती वीरो देवी पिता का नाम:- श्री राम पाल सन्याल स्थान:- राम निवास मकड़ाहन डा.मकड़ाहन तह.ज्वाली जिला कांगड़ा (हि.प्र) 176023 शिक्षा:- इंजीनियरिंग में डिप्लोमा लोक निर्माण विभाग में सेवाएं दे कर सहायक अभियन्ता के पद से रिटायर्ड। प्रस्तुति:- दो काव्य संग्रह प्रकाशित 1) मन तरंग 2)बोल राम राम रे . 3)बज़्म-ए-हिन्द सांझा काव्य संग्रह संपादक आदरणीय निर्मेश त्यागी जी प्रकाशक वर्तमान अंकुर बी-92 सेक्टर-6-नोएडा।हिन्दी और पहाड़ी में अनेक पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। Email:. [email protected] M.no. 9418063995