धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

मकरसंक्रांति

सूर्य का मकर राशि में प्रवेश मकर संक्रांति के रूप में जाना जाता है. यह हर वर्ष 14 जनवरी को मनाया जाता है| उत्तर भारत में यह पर्व मकर संक्रांति के नाम से और गुजरात में उत्तरायण केरल में पोंगल के नाम से मनाया जाता है| मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर हरिद्वार काशी आदि तीर्थंस्थानों पर स्नान आदि करने का विशेष महत्व माना गया है| इस दिन सूर्य देव की पूजा उपासना भी की जाती है सूर्य की पूजा करने साथ-साथ सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए मकर संक्रांति के दिन देव धरती पर अवतरित होते हैं |आत्मा को मोक्ष प्राप्त होता है अंधकार का नाश और प्रकाश का आवागमन होता है| इस दिन पुण्य दान जप तथा धार्मिक अनुष्ठानों का बहुत महत्व है इस दिन गंगा स्नान पूजा उपासना के बाद गुड़ चावल और तिल का दान श्रेष्ठ माना जाता है|
मकर संक्रांति के दिन दान करने का महत्व अन्य दान की तुलना में बढ़ जाता है| ऐसे व्यक्ति को यथासंभव किसी गरीब को अन्नदान तिल व गुड़ का दान करना चाहिए तिल से बने लड्डू या फिर तिल के अनेक खाद्य पदार्थ यह दान करना शुभ माना जाता है | धर्म शास्त्रों के अनुसार कोई भी धर्म कार्य तभी फल देता है जब पूरा आस्था विश्वास के साथ किया जाता है| जितना हम से हो सकता है हमें उतना दान अवश्य करना चाहिए मकर संक्रांति के साथ अनेक पौराणिक  कथा है| जिसमें से इस दिन भगवान आशुतोष ने भगवान विष्णु का आत्मज्ञान का दान दिया था इसके अतिरिक्त देवताओं के दिनों की गणना से प्रारंभ होती है|सूर्य जब दक्षिणायन में रहते हैं तो इस अवधि को देवताओं की रात्रि उत्तरायण के छह महीने को दिन कहा जाता है| महाभारत के अनुसार भीष्म पितामह ने अपने मकर संक्रांति को त्यागी थी|
आज के दिन ही गंगाजी भगीरथ के पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिली थी|इसलिए आज के दिन गंगा स्नान व तीर्थ स्थलों पर स्नान दान का विशेष महत्व माना गया है| मकर संक्रांति के दिन से मौसम में बदलाव आना शुरू हो जाता है यही कारण है कि रात छोटी व दिन बड़े होने लगते हैं| सूर्य के उत्तरी गोलार्ध की ओर जाने कारण ग्रीष्मऋतु का प्रारंभ होता है |सूर्य के प्रकाश में गर्मी और तपन भरने लगती है मकर संक्रांति के दिन तिल  से भी नहाने का महत्व माना जाता है|
मकर संक्रांति के दिन खायी जाने वाली वस्तुओं में तिल  प्रयोग किया जाता है| तिल से बने अनेक व्यजनों की खुशबू मकर संक्रांति के दिन हर घर से महसूस की जा सकती है| इस दिन तिल का सेवन और  दान करना शुभ होता है .पतंग उड़ाने का भी विधान है|  तिल के तेल का प्रयोग  तिल मिश्रित जल का पान तिल हवन तिल की वस्तुओं का सेवन और दान करने से व्यक्ति के पापों में कमी करता हैA
— पूनम गुप्ता

पूनम गुप्ता

मेरी तीन कविताये बुक में प्रकाशित हो चुकी है भोपाल मध्यप्रदेश