कविता

आज अलिक की बात करें

आज अलिक की बात करें, बातें-मुलाकातें करें,
खाली रहे जो दिल अब तक, मधुर भावों से भरें.
अलक अलिक पर लोल करे, सुंदरता बढ़ जाय,
सुंदरता को निरख के, विधि भी कवि बन जाय.
श्यामपट्ट पर लिखा लेख, लिखा-मिटाया जाय,
अलिक पर लिखे लेख को, विधि भी सके न मिटाय.
अलिक पर श्रम बिंदु की, महिमा कही न जाय,
बिन बोले वर्णन किए, सफलता को लखाय.
अलिक पर अलकें गिरा, गोरी करे शृंगार,
देख के वह अनुपम छटा, रवि की चमक गई हार.
अलिक पर चंदन तिलक, नैनन बीच कटार,
देखन वाले उलझ गए, प्यार कहें या वार!
अलिक बता देता सकल, दिल के गहरे राज़,
मन में तीखी चुभन है, या कि सुरीला साज़.
अलिक पर औरा चमक, चमक-चमक चमकाय,
ऐसे सद्गुणी अलिक पर, कौन न वारि जाय!
अलिक का अर्थ- मस्तक, ललाट

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244