कविता

“जय हिंद” मीठा सपना सुरंगा

“जय हिंद” केवल नारा नहीं है,

“जय हिंद” में है हिंदुस्तान,

“जय हिंद” है वीरों की शक्ति,

“जय हिंद” है आत्मसम्मान.

 

“जय हिंद” कहते-कहते चले थे,

वीर अमर जो सेनानी,

हंसते-हंसते देश की खातिर,

दे गए जान की कुर्बानी.

 

“जय हिंद” है संगठन की शक्ति,

“जय हिंद” स्वाभिमान की भक्ति,

“जय हिंद” अपना स्वार्थ छोड़ना,

“जय हिंद” देश के हित अनुरक्ति.

 

“जय हिंद” गौरव ऊंचा रखता,

“जय हिंद” अपने देश की शान,

“जय हिंद” ने सीमाएं साधीं,

“जय हिंद” देश का गरिमा-गान.

 

“जय हिंद” में है प्रेम की गंगा,

“जय हिंद” अपना झंडा तिरंगा,

“जय हिंद” भारत मां का भाल है,

“जय हिंद” मीठा सपना सुरंगा.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244