कविता

स्मरण

स्मरण शक्ति मस्तिष्क की पहरेदार है,
करती रहती हरदम सावधान है,
अधिक सावधानी भी कष्टों की जड़ है,
बुद्धिमान व्यक्ति भी हो जाता मूढ़-निर्ज्ञान है.
मिथ्याभिमान स्मरण शक्ति का शत्रु है,
सद्मार्ग से हटाकर भटकाता है,
करता है ईर्ष्या समझ चतुर-चालाक खुद को,
ईर्ष्या से अभिमान और अधिक बढ़ता है.
इष्ट का स्मरण मन को शान्त करता है,
मन में मधुर भावों का स्पन्दन करता है,
होती है अनुभूति परम आनन्द की,
इष्ट-स्मरण सुरक्षा-स्यन्दन कष्ट हरता है.
विदा हुए जो इस असार संसार से,
देकर हमें स्नेह और आशीषें अपार,
उन पितरों का स्मरण भी करना है,
विधिविधान से तर्पण भी करना है.
मधुर स्मृतियों को सहेजकर रखें,
कटु स्मृतियों को भुलाना होता अच्छा,
गाथाएँ महापुरुषों-वीरों-वीरांगनाओं की,
स्मरण-अनुकरण बनाता जीवन को सच्चा.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244