नन्ही सी गुड़िया
टूटने से डरती बड़ा
खेलने की उम्र में
मत धकेलो मुझे
रिश्तों के बंधनों में
चूल्हे चौके की
ज़िम्मेदारीयों में
कर बाल विवाह
बहुत छोटी हूँ
कोमल सी, अल्हड़ सी
मत करो कुर्बान बचपन
मेरा यूँ बाल विवाह की
बलिवेदी पर।
नन्ही सी गुड़िया
टूटने से डरती बड़ा
तन और मन के शोषण
से घबराती बड़ा
मैं तो खुद बच्ची हूँ
कैसे उठाऊँ बोझ ये
बेमन से ।।
नन्ही सी गुड़िया
टूटने से डरती बड़ा
खेलने, पढ़ने, चहकने,
की बाली उम्र में मत
छीनो बचपन मेरा
कर बाल विवाह का
अन्याय ।
मैं तो हूँ जी नन्ही सी गुड़िया
टूटने से डरती बड़ा
मैं तो हूँ जी नन्ही चिड़िया
आँगन से उड़ने से डरती बड़ा।।
नन्ही सी गुड़िया
टूटने से डरती बड़ा
नन्ही सी गुड़िया
बिखरने से डरती बड़ा
मासूम सी हूँ परी माँ बाबा
की मत करो उसे विदा कर बाल विवाह
जी लेने दो ,सांस लेने दो,
पनपने दो, खिलने दो
बड़े हो न आप तो फिर क्यों
करते बाल हठ बाल विवाह
की सामाजिक रीति के नाम।
नन्ही सी गुड़िया
टूटने से डरती बड़ा
इसलिये बस जीने दो
बचपन मेरा
कोमल सी कली को खिलने
से पहले मत टूटने दो।।
— मीनाक्षी सुकुमारन