बहारों से कह दो
चारों ओर बहार है,
मौसम खुशगवार है,
मदमाती बसंती ऋतु में,
बह रही फागुनी बयार है.
बसंती फूलों के दयार में,
अमराई के बौर-सिंगार में,
फागुनी रंगों की बौछार में,
तितलियों की सितार में
भंवरों की गुंजार में,
कहां इतनी कशिश है,
जो प्रियतम के इंतजार में है.
बहारों से कह दो,
अभी न इतराएं,
मदहोशी की मस्ती में,
अभी न इठलाएं,
अपनी सुहावनी सदाएं-अदाएं,
संजोकर रखें
स्नेही साजन के स्वागत में.
बहारों से कह दो,
फूल बरसाएं खुशी के आलम में,
चांदनी रात के सुहावने सरमाए में,
प्रियतम के आगोश में,
हो रहा जब प्रेमिल अभिसार हो.