कविता

बेहद जरूरी है

जिंदगी को सही मायने में जिंदगी बनाने के लिए,
रिश्तों का गणित समझ में आना बेहद जरूरी है!
रिश्तों की पाठशाला बनाए रखने के लिए,
गणित और राजनीति में कमजोर होना बेहद जरूरी है!!
मन सरल और सन्तुष्ट रहे, छल-कपट से दूर रहे,
सजग रहना, शिद्दत से प्रयास करना बेहद जरूरी है!
धरती-सा धैर्य होना, अम्बर-सा विशाल हृदय होना,
खुशियां बांटना, स्नेह से सराबोर होना बेहद जरूरी है!!
वसुंधरा हरी-भरी रहे, जीवन स्वस्थ-खुशहाल रहे,
पेड़ न काटना, नए पेड़ लगाना बेहद जरूरी है!
पर्यावरण प्रदूषण-रहित रहे, शुद्ध-शीतल बयार बहे,
जहरीली खाद और प्लास्टिक को छोड़ना बेहद जरूरी है!!
मन में मौज रहे, तन में ओज रहे, जीवन में जोश रहे,
हर हाल में खुश रहना, तनाव से दूर रहना बेहद जरूरी है!
जरूरत हो तो ही बोलना, कम-से-कम बोलना,
तोल-मोलकर बोलना, मीठा-सच्चा बोलना, बेहद जरूरी है!!

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244