मुक्तक/दोहा

शब्दों की सुख छाँव में

शब्द सँवारे हृदय को, हरें सकल दुख पीर।
मीत बनें ज्यों कष्ट में, शुष्क धरा को नीर।
सघन प्रेम से जब रचें, शब्दों का संसार।
सतत बहे तब जगत में, नेह नीर की धार।।
शब्दों की सुख छाँव में, सदा मिले आराम।
साधक को देते रहे, सिद्धि मधुरता नाम।।
शब्दों से मत खेलिए, शब्द भरे उर आग।
शब्दों से ही जगत में, बनते बिगडे भाग।।
शब्द साधु हैं विमल मन, निर्मल करते चित्त।
सौम्य शब्द से ज्यों बने, मोहक रुचिर कवित्त।।
शब्द सहेजें जतन से, रखते गहरे अर्थ।
सूर शब्द सम्मान है, अंधा कहे अनर्थ।।
— प्रमोद दीक्षित मलय 

*प्रमोद दीक्षित 'मलय'

सम्प्रति:- ब्लाॅक संसाधन केन्द्र नरैनी, बांदा में सह-समन्वयक (हिन्दी) पद पर कार्यरत। प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में गुणात्मक बदलावों, आनन्ददायी शिक्षण एवं नवाचारी मुद्दों पर सतत् लेखन एवं प्रयोग । संस्थापक - ‘शैक्षिक संवाद मंच’ (शिक्षकों का राज्य स्तरीय रचनात्मक स्वैच्छिक मैत्री समूह)। सम्पर्क:- 79/18, शास्त्री नगर, अतर्रा - 210201, जिला - बांदा, उ. प्र.। मोबा. - 9452085234 ईमेल - [email protected]