/ सच के आईने में…/
सच के आईने में…
आसान है पुस्तकें पढ़ना,
और अपने विचार को जोड़़ना,
लेकिन, सच के आईने में
कठिन होता है दूसरों को पढ़ना
और गहराई में छिपे उस
अंतरंग को समझना,
डराती है अहं की छाया वह
हर जगह, विभिन्न रूपों का
जहाँ श्रम की पूजा नहीं होती वहाँ
केवल अंधा श्रद्धा का आवेग होता है
मुश्किल होता है मनुष्य का रहना और
वेश बदलकर चलना
चमक धमक का सज धजकर
आगे का कदम लेना
बहुत बड़ी सीख है
जीने की कला है वह
मानव के इस दुनिया में ।