कविता

रंग बिरंगा तोहफा

होली क्या आई मेरा तो भाग्य खुल गया
अभी अभी राजधानी से एक लिफाफा
अबीर गुलाल के साथ मिल गया,
उसके साथ एक रंग बिरंगा पत्र
होली की अनंत शुभकामनाओं से भरा पड़ा था
पत्र में लिखा था वो कुछ ऐसा था
यह बात किसी को मत बताना
राज की बात है मान जाना
तुम्हारी होली और रंगीन हो जायेगी
यदि मेरी बात तेरी समझ में आयेगी।
पत्र लेकर तुम दिल्ली चले आना
दो चार जोड़ी कुर्ता पजामा साथ लाना
तूझे मंत्री बनवा दूंगा
अपने भ्रष्टाचार की सारी तोहमत तेरे सिर मढ़ दूंगा
कानून की नजरों में धूल झोंक
तिहाड़ में अपनी जगह तुझे शिफ्ट करा दूंगा
तेरी जगह मैं ले लूंगा
फिर भ्रष्टाचार करुंगा
दस परसेंट तेरी बीवी को भिजवाता रहूंगा
तेरी होली रंगीन बना दूंगा
तिहाड़ में ऐशो आराम के सारे इंतजाम करवा दूंगा,
तेरे साथ अपनी भी होली यादगार बना लूंगा।
मैं क्या हूं? कानून, पुलिस, सरकार को भी बता दूंगा,
होली की आड़ में सबकी आंखों में
मिर्ची मिक्स रंग अबीर झोंक दूंगा
अपनी ईमानदारी का पुख्ता सबूत पेश कर दूंगा,
तेरी सात पीढ़ियों तक को मालामाल कर दूंगा
होली पर तेरी उम्मीद से बेहतर
रंग बिरंगा होली का तोहफा दूंगा।

 

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921