सामाजिक

हर क्षेत्र में विराजमान है, नारी तू ही स्वाभिमान है

आदि काल से ही नारी, शक्ति के रूप में खुद को स्थापित करती रही है। जिसमें माता को आदि शक्ति के रूप में माना जाता है। उन्ही के अलग अलग रूपो का बखान हमें पढने को मिलता है।शिव शक्ति के वगैर अधूरे माने जाते है।उसी तरह हमारे इतिहास और राजा रजवाडो की कहानियों मे भी नारी की प्रधानता और वीरता के कई वर्णन मिल जाते हैं ।स्वतंत्रता संग्राम की वीरांगनाओं मे महारानी लक्ष्मी बाई अर्थात झांसी की रानी को कौन भूल सकता है।कहने का तात्पर्य नारी शक्ति के साथ समाज को भी शक्ति प्रदान करती रही है। उसकी महत्ता को सभी को समझना होगा।
समाज में सम्मानपूर्वक जीवन जीने के लिए सबों को सामाजिक समरसता और मानसिकता में नरमी के साथ सबों के प्रति आदर का भाव रखना आवश्यक होगा विशेषकर महिलाओं के साथ। सामाजिक उत्थान और विकास के साथ शिक्षा, सुरक्षा, स्वास्थ और रोजगार के लिए सरकार के साथ-साथ स्वंय में भी महिलाओं को प्रयास और सजगता लानी होगी। आज हर समाज, अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा है, उपहास और परिहास की दृष्टि से आज सामाजिक कार्यकर्ता को देखा जाने लगा है क्योंकि सामाजिक कार्यों मे उतनी चमक घमक नहीं है जितनी कि राजनीतिक या अन्य क्षेत्रो में है। संविधान में सभी नागरिकों को स्वतंत्रता, समानता, न्याय, शिक्षा, स्वास्थ, सुरक्षा, रोजगार, के लिए समान मौलिक  अधिकार प्रदान किए गए हैं।
जबकि सामाजिक व्यवस्था और मान्यताओं के कारण ही आज परिवार और समाज हमें स्वीकार करता है। जिसके फलस्वरूप आज महिलाओ की स्थिति में पहले के मुकाबले काफी परिवर्तन भी हुए हैं लेकिन सुरक्षा की दृष्टिकोण से अभी भी व्यापक बदलाव की जरूरत है।आज की महिलायें सभी क्षेत्रों में अपना परचम लहरा रही है।कृषि कार्य,सेना,लेखन,डाक्टर,इंजीनीयर और राजनीति में भी वे अपनी जगह सुनिश्चत कर देश का नाम रौशन कर रही है।यह बदलाव आधी आबादी को ताकत के साथ निखार रहा है।वही चंद ऐसे वीभत्सकारी घटनाएँ भी होती रही है जिससे देश और समाज को शर्मसार होना पडा है।यह देश नारी सम्मान के लिए जाना जाता है जहाँ दुर्गा सरस्वती लक्ष्मी की पूजा की जाती है।पर असामाजिक तत्वो द्वारा विध्न डालने की प्रवृत्ति भी होती रही है जिसे शास्त्रो की भाषा में असुर समाज कहते है।यह असुर समाज आज भी है कोई चोर है कोई लुटेरा कोई दहेज लोभी कोई बालात्कारी भ्रूण हत्या तो कोई उत्पीडन करने वाला।देश में बढती बालात्कार की घटना चिंता का विषय है जो सरकार को वेचैन करने वाली रही है।दहेज और महिला उत्पीडन की भी घटनायें चिता मे डालती प्रतीत होती है।बढता शराब का प्रचलन तथा नेट पर बढते अश्लील शार्ट फिल्म ने तो इन घटनाओ को और अधिक प्रोत्साहन दिया है जहाँ खुलकर अश्लीलता परोसी जाती है।ऐसे फीचर को कठोर और सख्त नियम के तहत बंद की जानी चाहिए।
आज भी महिलाओं की स्थिति बहुत अच्छी नही है। देश में अनेक जनकल्याणकारी योजनायें और निःशुल्क अनाज राशन आवास गैस आदि का प्रावधान होने के बावजूद भी कई लोग बदहाल हैं। देश में सामाजिक शिक्षा का अलग से कोई प्रबंध नहीं है, इसे हम देखकर, पढकर, ऐतिहासिक, नैतिक कार्यो का अध्ययन कर और बडो के संगत से ही ग्रहण कर सांस्कृतिक मर्यादा का पालन करते हुए निवर्हन करते हैं। जिसमें महिलाओं का सम्मान,सभी धर्मों का सम्मान,बडो का आदर, आपसी भाइचारे, संस्कृति का सम्मान व रक्षा, देश के प्रति समर्पण का भाव और सभ्यता के प्रति आत्मविश्वास के साथ पीढी दर पीढी आगे ले जाने की असीम प्रेरणा मिलती है ताकि सभी लोग समाज की मुख्यधारा में सम्मानपूर्वक जीवनयापन कर सकें साथ हीं सामाजिक उपेक्षा का कोई भी शिकार न हो सके। संविधान में भी सभी के लिए समान अवसर की बात कही गई है। शिक्षा, प्रशिक्षण और कौशलयुक्त होकर आज महिलाओ को घर से बाहर निकलना पडता है जहाँ उन्हें नित्य मुश्किलो का सामना करना पड़ता है। सरकार महिलाओं के विकास और रोजगार प्राप्ति के लिए अनेक योजनाएं संचालित कर रही है, पर दुर्भाग्य है कि आज भी वे बदहाल की स्थिति में हैं। योजना का लाभ तो दूर उन्हें योजना की जानकारी तक नहीं होती, या होती भी है तो उस स्तर तक वे पहुँच ही नही पाते। फलस्वरूप  योजना का लाभ उन्हें नही मिल पाता जिनके लिए योजनायें है।
समानता की गरिमा का ख्याल करते हुए  उन लोगो को समान अधिकार  मिले और समाज में समानता और समरसता तभी स्थापित होगी जब आधी आबादी को मजबूत किया जाएगा।
इक्कीसवीं सदी में भी वंचित महिलायें आधुनिकताओं  में जीने के लिए समाज में अपना घर तलाश रही है । वह चिता करने वाला है अतः आशा करनी चाहिए इन सभी विसंगतियो पर पूर्ण विराम की स्थिति हो। इनको दूर करने की दिशा में सरकार सकारात्म कदम के साथ कठोर कार्रवाई भी कर रही है जिससे खोया हुआ आत्मविश्वास पुनः लौटने लगी है । आधी आबादी के लिए सरकार द्वारा कई कदम उठाये गये हैं जिनमें तीन तालाक, आरक्षण, महिला आयोग, पुलिस में महिला की नियुक्ति का कोटा, निकाय चुनावो में आरक्षण आदि शामिल हैं । आज हमारे संसद में भी महिलाओं की वृद्धि हुई है जो अपनी हक की बात वखूवी रख रही है ।लेकिन अभी भी महिला आरक्षण बिल का पास होना बाकी है।आत्म सुरक्षा के लिए भी मार्शल आर्टस ट्रेनिंग के जरिये भी आजकल मोर्डन स्कूलो में ट्रेनिंग दी जाती है जो निश्चित ही आने वाले दिनो में कारगर साबित होगी।
अतः कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि पहले की अपेक्षा आज महिलाओं की उपस्थिति हर क्षेत्र में बढ़ रही है।राहे कठिन जरूर है पर उपस्थिति नगण्य नही जो भविष्य के लिए शुभ संकेत देते है और हमें मुस्कुराने का मौका भी।
हर क्षेत्र में विराजमान है, नारी तू ही स्वाभिमान है
— आशुतोष

आशुतोष झा

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