होला महके खेत में
होला महके खेत में, सोंधी लगे मिठास।
छाछ दही सह पीजिए, गन्ने का रस खास।।
होला भुनता मेंड़ पर, महक उठे आकाश।
मिर्चा बुकनू रायता, रखो हमेशा पास।।
गेहूँ बाली भूँज कर, खाओ गुड के साथ।
क्षुधा शांत कर तृप्ति दे, प्रमुदित दीनानाथ।।
चना भूँज कर खाइए, ताल खेत नद तीर।।
होला हर्षित है करे, झोंपड़ महल कुटीर।
हरे चना को पीस कर, बने कचौड़ी चाट।
‘मलय’ निमोना स्वाद प्रिय, रहे अँगुलियाँ चाट।।
— प्रमोद दीक्षित मलय