भ्रमित मन
सबसे मुलाकात करते रहे,
स्वयं से मुलाकात कर नहीं पाए,
सबकी कमजोरियां ढूंढते रहे,
स्वयं की कमियां देख न पाए,
अपनी सुख-सुविधा-स्वार्थ के समक्ष,
परमार्थ को रहे बिसराए,
भुलावे-बहकावे के जाल में फंसे,
स्वविवेक से काम ले नहीं पाए,
नकली चकाचौंध के पीछे भागते रहे,
असलियत को जान ही नहीं पाए,
वैर-क्रोध-ईर्ष्या को गले लगाते रहे,
सुख-अमन-चैन ले ही नहीं पाए,
अहम-वहम-संभ्रम की खाक छानी,
व्यर्थ झंझावात से निकल नहीं पाए,
भ्रमित मन से खुद को बहलाते रहे,
अंततः विनाश से बच ही नहीं पाए.