पेड़ के दोहे
पेड़ काटने चल दिए ,देखो मूरखराज ,
छाँह राह में खोजते ,आवत नाही लाज।
दस पेड़ों को काट के ,लगा रहे इक पौध ,
उनके प्रकृति प्रेम पे ,खुश है मनुज अबोध।
पेड़ काट रहे हर तरफ ,चिड़िया करती शोर ,
कहाँ रहेंगे हम बता ,ओ मानव घनघोर।
पेड़ काटना पाप है ,सुन ले मनुज सुजान ,
बड़े पुण्य का काम है ,वृक्षारोपण जान।
नीम पेड़ को जानिए ,कुदरत का वरदान ,
शुद्ध देके सदा ,करता रोग निदान।
— महेंद्र कुमार वर्मा