लघुकथा

मुहूर्त

संगीत लहरियाँ पूरे हाल में गूँज रही थीं,विद्युत सज्जा से हाल जगमगा रहा था। फूलों से सज्जित मंच पर दूल्हा दुल्हन सभी से बधाइयाँ ,आशीर्वाद ,तोहफे प्राप्त कर रहे थे। आज राम जी की बेटी सलौनी के शादी का स्वागत समारोह था।
राम जी को याद आ रहा था छः माह पूर्व जब सलौनी की शादी सुकुमार जी के बेटे आदित्य से तय हुआ था तथा शादी का मुहूर्त निकला था 6,  7 या 8 दिसम्बर। राम जी तत्परता से भागे शादी हाल बुक कराने। हर जगह सारे हाल पहले से बुक हो चुके थे। सभी ने सलाह दी कि शादी की तारीख अगले साल तक के लिए बढ़ा दें। वो फ़ौरन सुकुमार जी के पास दौड़े विवाह की तिथि बढ़ाने के लिए ,मगर सुकुमार जी नहीं माने क्योंकि उनके बेटे को दिसम्बर के अंत में कंपनी के नए प्रोजेक्ट के लिए अमेरिका जाना था।
राम जी निढाल से घर लौटे। घर में बेटी ने समस्या सुना फिर वो भी सोच में डूब गई। शाम को बेटी को कुछ सूझा। उसने पिता को बताया ,पिता ने सुकुमार जी पूछा तो उन्होंने हामी भर दी। सभी रिश्तेदारों को तदनुसार खबर कर दिया गया।
बेटी ने कहा था- ठीक है पिताजी विवाह मुहूर्त में ही समीप के मंदिर में कर दीजिये और मुहूर्त के बाद किसी शानदार होटल में स्वागत समारोह।

— महेंद्र कुमार वर्मा

महेंद्र कुमार वर्मा

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