गीतिका/ग़ज़ल

गीतिका

खुद में खुद को ज़िन्दा रख, मानवता हित आगे बढ़।
मुश्किल बहुत है मन्जिल पाना, सीढ़ी धीरे धीरे चढ़।
बाधाओं से कभी न डरना, नये मार्ग को प्रेरित करती,
बड़े लक्ष्य जीवन के हों तो, छोटी बातों पर मत अड।
सूरज ढलता तम आ जाता, पुनः प्रातः आस जगाता,
जो जीने की आस जगाये, जीवन में उससे मत लड।
सकारात्मक चिंतन अपना, बाधाओं से कैसा डरना,
नकारात्मक सोच त्यागना, चाहे जितनी हो गड़बड़।
— डॉ अ. कीर्तिवर्द्धन