कविता

मेरा निलय

मेरा निलय
तुझ में विलय
तेरे  वक्ष वलय
के गिर्द रहूँ|
तेरे ही पृष्ठ पर
बंशी  जैसे
बन वात मै
बहती ही  रहूँ|
यमुना के तीर
चले मंद समीर
छूकर तुझको
मचलती रहूँ|
कभी बन  सुमन
अपने ही पाश
परागकण
पिलाती रहूँ|
कभी मंदिर में
वृषभानुजा सा
संग तेरे ही
पूजाती  रहूँ |
आये जो  फाग
बनूँ लाल गुलाल
रंग में अपने
रंगती रहूँ |
जो हो ओझल
नैन हो सजल
बनकर संजय
तुझे देखती रहूँ |
तू राधामय
वो कृष्णमय
मेरा बस ये है आशय
तेरे वक्ष वलय में कान्हा
हो मेरा भी विलय |
— सविता सिंह मीरा 

सविता सिंह 'मीरा'

जन्म तिथि -23 सितंबर शिक्षा- स्नातकोत्तर साहित्यिक गतिविधियां - विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित व्यवसाय - निजी संस्थान में कार्यरत झारखंड जमशेदपुर संपर्क संख्या - 9430776517 ई - मेल - [email protected]