गीतिका/ग़ज़ल

आल्हा छन्द (16+15=31) गीतिका

शब्द मौन हैं व्यथा देखकर,धरती का उजड़ा श्रृंगार
बंजर हो गई भूमि अपनी,उगे वनो पर करे प्रहार,
मानव की सुविधा की खातिर,हम विकास पर देते जोर
पेड़ काट कर सड़को का अब,करते हैं हम जब विस्तार
देख हृदय दुख से भर जाता,कहीं उखड़ता है जब पेड़
वक्त अभी वो आने वाला,नही मिलेगा जब आहार
पंछी को बेघर हम करते,कानन का छीना आवास
पारितन्त्र को तहस नहस कर,करते विपदाएं साकार
मौसम में बदलाव हो रहा,और करे पारा बेहाल
पेड़ अगर जो नही रहेगें,सांसे भी होगीं दुश्वार
प्रश्न पूछती है धरती अब,करती है वो रोज सवाल
कब रोकोगे दोहन मेरा,खुदपर ही करके उपकार
— शालिनी शर्मा

शालिनी शर्मा

पिता का नाम-स्वर्गीय मथुरा प्रसाद दीक्षित माता का नाम -श्रीमती ममता दीक्षित पति का नाम-श्री अनिल कुमार शर्मा वर्तमान स्थायी पता- केऐ-16 कर्पूरी पुरम गाजियाबाद फोन न0- 9871631138 जन्म एंव जन्म स्थान-09.04.1969, परीक्षित गढ़ गाजियाबाद उप्र शिक्षा एवं व्यवसाय-बीएससी बीएड़,अध्यापिका व सहायक NCC आफिसर (13 यूपी गर्ल्स बटालियन) प्रकाशित रचनाएं एवं विवरण-अमर उजाला काव्य में 48 रचनायें प्रकाशित, विभिन्न पत्रिकाओं में रोज रजनाएं प्रकाशित होती हैं,दो तीन सम्मान प्राप्त