गीतिका
प्यार की दुनिया बसायी प्यार से
रीत हमने सब निभायी प्यार से
वो मगर था बेवफा जाना तभी
दे गया वो भी दगा जब प्यार से
टूटने का सिलसिला भाता नही
दिल को पत्थर कर दिया है प्यार से
खो गया वो जो बहुत था कीमती
की शिकायत रब से हमने प्यार से
होशियारी से निकाले काम वो
धूल झोंके आँख में वो प्यार से
आँख कर लेते हैं टेढ़ी भी कभी
काम जब चलता नही है प्यार से
थी नही अपनी जरुरत जब वहां
हम निकल आये वहां से प्यार से
झोपडी में भी दिखी हमको खुशी
जिन्दगी की जंग लड़ते प्यार से
— शालिनी शर्मा