कविता

आओ राष्ट्र प्रेम जनजागरण कराएं

हमारी परम्पाओं सभ्यताओं
कलाकृतियों में आस्था दर्शाए
आओ साथ मिलकर राष्ट्र प्रेम
का जनजागरण कराएं
घर घर में जाकर भारतीय राष्ट्र प्रेम संस्कृति
दिल से अपनाने का मंत्र दिलाना है
यह कभी भी कम ना हो पाए संकल्प लेना है
भारत राष्ट्र प्रेम संस्कृति का ख़जाना है
बच्चों युवाओं में भारतीय राष्ट्र प्रेम
संस्कृति के प्रति प्रोत्साहन करवाएं
हमेशा याद दिलवाएं हम अपनी
विरासत की जड़ों को भूल न जाएं
डटकर लड़ना होगा हमें
पाश्चात्य संस्कृति से
ऐसा संकल्प करवाएं
हम अपनी जड़ों को भूल ना जाएं
पारंपरिक कला शैलियों को कायम रखने
हम ऐसा मिलकर रास्ता अपनाएं
बेहतर जिंदगी की तलाश में
हम अपनी जड़ों को भूल ना जाएं
हम देख रहे हैं कैसे शहरीकरण स्वदेशी
लोककला शैलियों को नुकसान पहुंचा रहे हैं
बड़े बुजुर्गों की बातों को छोड़
पाश्चात्य संस्कृति अपना रहे हैं
— किशन सनमुख़दास भावनानी

*किशन भावनानी

कर विशेषज्ञ एड., गोंदिया