गीतिका/ग़ज़ल

कुंठा दी है ताव दिया है

कुंठा दी है ताव दिया है
कटुता ने पथराव दिया है

मानवता को धर्मो ने ही
सबसे गहरा घाव दिया है

तर्क विहीन बहस ने अक्सर
वैचारिक भटकाव दिया है

चिंतन ने उद्वेलित मन की
भटकन को ठहराव दिया है

छद्मीयत ने मानवता को
अक्सर घोर तनाव दिया है

हद से ज़्यादा नजदीकी ने
रिश्तों को अलगाव दिया है

उसने ही दुत्कारा बंसल
जिसको ज़्यादा भाव दिया है

— सतीश बंसल
०८.०७.२०२३

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.