गीतिका/ग़ज़ल

वफ़ा ख़ुलूस मोहब्बत ईमान, इस युग में

वफ़ा ख़ुलूस मोहब्बत ईमान, इस युग में
बची कहाँ ज़बान में ज़बान, इस युग में

हरेक शख़्स है मुरीद सिर्फ़ दौलत का
तलाशता है कौन ख़ानदान इस युग में

धरम अधर्म के कफ़स में कैद है बेबस
चले है ख़ूब ढोंग की दुकान इस युग में

जहर भरा है सोच से ज़बान तक बेहद
फ़कत किताबी है अम्नों अमान इस युग में

फरेब झूठ के है साथ कारवाँ लम्बा
मिलेगा सत्य एकला बिरान इस युग में

मिले मियां अगर तुम्हे तो इत्तिला करना
कहीं कोई मनुज चरित्रवान इस युग में

ज़मीन पर नही किसी के पाँव अब बंसल
हरिक निगाह में हैं आसमान इस युग में

— सतीश बंसल
०३.०७.२०२३

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.