गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

हम सभी गढ़ते सुनो तो नव कहानी आज फिर
जीत हासिल की सभी पर ये सुहानी आज फिर

था प्रयासों का रहा ये दौर देखो तो सही
हर कदम की सद्गति हम को दिखाते आज फिर

हार मानी ही नहीं संकट भले आये कई
बीज जो हैं जीत के ले ली निशानी आज फिर

हर विजय पर हम लहरता देखते ही तो रहे
ये तिरंगा ही फहर ले सोच ठानी आज फिर

विश्व में हो नाम ऊँचा हो गया है देश का
कर सकी दुनिया न जो भी कर दिवानी आज फिर

देश में अब सदा एकता की ज्योति जलती ही रहे
साथ मिलकर सब चलें हिंदोस्तानी आज फिर

चाँद पर अब हम खड़े हैं सारा जहां है देखता
देश है गौरव हमारा प्यार धानी आज फिर

— रवि रश्मि ‘अनुभूति’