कविता

राखी

आया है त्योहार राखी का…,

लिये साथ में ख़ुशियां सारी…,

भाई बहन का प्यार अनूठा…,

सबके मन को भाता है…,

सावन की फुहार पड़ रही हो…,

हाथों में राखी की थाल सजी हो…,

धरती भी सजती हो फूलों से .., 

है यह एक ऐसा त्योहार दुनिया का…,

दुखी हैं आज जवान सेना के भी…,

कैसे बंधवायें वे राखी अपनी बहनों से…,

मातृ भूमि की रक्षा करने में…,

खड़े हैं ताने सीना अपना जवान रणभूमि में…, 

बहना कहती अपने भैया से…,

होना ना जुदा हमसे कभी…,

जन्म-जन्म का नाता है अपना…, 

प्यार सौहार्द का त्योहार यह…, 

सबके दिल को हसरतें है…, 

कच्चे धागों से बनी यह राखी…, 

रक्षा का बंधन है कहलाती…। 

— गरिमा

गरिमा लखनवी

दयानंद कन्या इंटर कालेज महानगर लखनऊ में कंप्यूटर शिक्षक शौक कवितायेँ और लेख लिखना मोबाइल नो. 9889989384