कविता

तलाश

जो चाहा वो पाया जिंदगी में

हर सपने हुए पूरे

फिर भी सपने के लिए

जिंदगी में संघर्ष अभी भी जारी है।

दोस्त मिले अजीज मिले

वफ़ा और बेवफाई के सिलसिले मिले

अपने बेगाने की भीड़ में

अपने पहचान की तलाश अभी भी जारी है।

दुनिया को कुछ हमने समझा

दुनिया ने कुछ हमको समझा

इस समझने और समझाने में

बहुत कुछ समझना अभी बाकी है।

जिसके पीछे छोड़ी अपनी खुशियां

जिसका सदा किया ख्याल

आज उसी ने तोड़े मेरे जज़्बात

उसी को समझने की जद्दोजहद अभी जारी।

कभी भागते रहे कभी दौड़ते रहे

कभी चलते रहे कभी थकते रहे

सुख की तलाश में दर दर यूं ही भटते रहे

लेकिन जिंदगी में सुकुन की तलाश अभी भी जारी है।

—    विभा कुमारी “नीरजा”

*विभा कुमारी 'नीरजा'

शिक्षा-हिन्दी में एम ए रुचि-पेन्टिग एवम् पाक-कला वतर्मान निवास-#४७६सेक्टर १५a नोएडा U.P