कविता

भुलाकर हर बात

अब से पहले तक जो हुआअच्छा या खराब जैसा हुआभूल जाइए, और आगे बढ़ियाजो हो चुका है वह बदल नहीं सकताआपके सिर पटकने से भी तो वो पलट नहीं सकताफिर उसी में उलझे रहने या सोच विचार करने से भला क्या अच्छा हो जाएगाबिल्कुल नहीं!बल्कि जो अच्छा होने वाला भी हैवो भी बिगड़ सकता हैअनावश्यक दर्द दे सकता हैआपकी चिंता बढ़ा सकता हैप्रगति की राह में रोड़े खड़ा कर सकता है।इसलिए नये सिरे से आगे बढ़ियेआने वाले समय और अवसर काखुले मन से स्वागत कीजिएऔर चलिए अपने कर्तव्य की राह परभुला कर हर बातकि सफल या असफल होंगेलाभ में रहेंगे या हानि उठायेंगेक्योंकि ये तो अभी समय के गर्भ मेंआप आज ही भला कैसे जान पायेंगे?तब क्या बीती बातों और समय का रोना रोकेंगे?या नव विश्वास के साथ आगे कदम बढ़ाएंगे?या बीती बातों में उलझे रह जाएंगे?

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921