भजन/भावगीत

श्रीगणेशा! आमंत्रण मेरा स्वीकार करो

हे गणेश गणपति गजानननमन मेरा स्वीकार करो,हमारी भूल बिसारकर अबआमंत्रण मेरा स्वीकार करो।रिद्धि सिद्धि को संग अपनेमूषक वाहन पर हो सवार,अब जल्दी से आ जाओ।कब से द्वार खड़े हैं हम एकटक राह निहार रहे,आपकी तीव्र प्रतीक्षा मेंखड़े खड़े हम अकड़ रहे।हे गौरीसुत हे लंबोदरबिना और बिलंब किएमेरे घर अब आ जाओ,अक्षत चंदन तो लगाएंगेहम दूर्वा पुष्प भी चढ़ाएंगेधूप दीप भी जलायेंगेआरती भी हम सब मिल गायेंगे,मोदक का भोग लगाएंगेबड़े चाव से आपको खिलायेंगे।हे विघ्नविनाशक, हे दु:ख हर्ताहम अपने लिए न कुछ मांगेंगे,मेरे सारे कष्ट हरो प्रभुये अनुरोध न अब दोहराएंगे,बस हमको इतना कहना है सुनोरोग शोक संताप सभीइस दुनिया से मिट जाये,निंदा नफरत, हिंसा का भावनहीं किसी के मन आये।बहन बेटियों के मन मेंअब न डर का भाव रहे,भाई चारा और सौहार्द कावातावरण चहुँओर रहे,सुख समृद्धि और खुशहाली काएक नया अध्याय सृजित हो,प्राणी प्राणी का आपस मेंसंवेदनाओं का विश्वास बढ़े।हे प्रथम पूज्य गौरी गणेशइतना ही कहना है तुमसे,अब और विलंब न नाथ करो,फरियाद का मेरे ध्यान करोटकटकी लगाए राह निहारूंअब आकर मुझको कृतार्थ करो।बस और नहीं मैं सुनूंगा अबआमंत्रण मेरा स्वीकार करो,मेरे घर के साथ साथ नाथजन जन के घर अब आ जाओ,धरती के हर प्राणी के मन मेंखुशियों की सौगात भरो,धरती मां का भी ये आमंत्रण हैइसको तो अब स्वीकार करो।हे श्रीगणेश! अब आ भी जाओ और कृपा की अविरल बरसात करोअब तड़पाओ न कार्तिकेय भ्रातआमंत्रण अब तो स्वीकार करोगणपति बप्पा मोरया का शोर मचा हैकम से कम ये भी तो सुनो।

*सुधीर श्रीवास्तव

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