भजन/भावगीत

हे गणेशा! प्यारे

हे प्रथम पूज्य गौरी गणेशतुम तो हमको हो अति प्यारे,हम अज्ञानी नादान सहीपर तुम्हें पूजते हैं प्यारे,आता नहीं हमें तो कुछपूजा पाठ का विधि विधान,कर सकते हैं जितना हमउतना तो हम रखते हैं ध्यान।अब जैसा भी कर सकता हूँउतना तो मैं करता ही हूँ,तुम्हें पता सब अवगुण मेराहे गणपति बात समझता हूँ,और मैं क्या कर सकता हूँ,ये तो तुम ही बतला सकते,इंतजार के सिवा और हमप्रभुजी! हम क्या कर सकते?जो भी है जैसा भी हैआपसे तो कुछ छिपा नहीं है,तब मेरा कुछ कहना व्यर्थ ही है।मैं तो इतना ही विनय करुँगाबस तनिक आपका ध्यान संगकृपा दया करुणा का उपहार मिले,हे मेरे गणेशा प्यारे, हरो सब विघ्न हमारेमेरे संग संग ही हो जाये धरती के हर प्राणी के भी वारे न्यारे,रिद्धि सिद्धि संग मूषक चढ़ अब आप पधारेंहम लगा रहे सदा आपके जयकारे।

*सुधीर श्रीवास्तव

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