गीतिका/ग़ज़ल

जब से उसने दिल होने का …

जब से उसने दिल होने का फ़र्ज़ निभाना छोड़ दिया
दिल ने भी उसकी बातों से सदमा खाना छोड़ दिया

ख़ुदग़र्ज़ी से हाथ मिलाया है जिस दिन से रिश्तो ने
रस्म रवायत और वफ़ा का राग पुराना छोड़ दिया

बात ज़रा सी तंगी की क्या फैली, मेरे अपनो ने
घर आना जाना तो छोड़ो फोन उठाना छोड़ दिया

जब से नस्ल नयी तंगी से लड़ गाँवों को छोड़ गयी
खेत दुखी हैं, चौपालों ने हँसना गाना छोड़ दिया

जिस दिन से पथरीली सोच समझ आई है दुनिया की
हमने अपने दिल को आईना बतलाना छोड़ दिया

साथ समय के जो अपना किरदार बदलते रहते हैं
बंसल ने उन अय्यारों से हाथ मिलाना छोड़ दिया

— सतीश बंसल
०९.१०.२०२३

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.