जब से उसने दिल होने का …
जब से उसने दिल होने का फ़र्ज़ निभाना छोड़ दिया
दिल ने भी उसकी बातों से सदमा खाना छोड़ दिया
ख़ुदग़र्ज़ी से हाथ मिलाया है जिस दिन से रिश्तो ने
रस्म रवायत और वफ़ा का राग पुराना छोड़ दिया
बात ज़रा सी तंगी की क्या फैली, मेरे अपनो ने
घर आना जाना तो छोड़ो फोन उठाना छोड़ दिया
जब से नस्ल नयी तंगी से लड़ गाँवों को छोड़ गयी
खेत दुखी हैं, चौपालों ने हँसना गाना छोड़ दिया
जिस दिन से पथरीली सोच समझ आई है दुनिया की
हमने अपने दिल को आईना बतलाना छोड़ दिया
साथ समय के जो अपना किरदार बदलते रहते हैं
बंसल ने उन अय्यारों से हाथ मिलाना छोड़ दिया
— सतीश बंसल
०९.१०.२०२३